आगरा| दिवाली का त्यौहार नजदीक आते ही आगरा जिले के किसानों के चेहरे खिले उठे है| इस बार मौसम के उतार-चढ़ाव के बावजूद गेंदे के फूलों से किसानों को अच्छी आमदनी की उम्मीद है| जहां पिछले साल उत्पादन ज्यादा था लेकिन दम कम मिले थे, वहीं इस बार पैदावार थोड़ी कम होने के कारण मंडी में भाव बढ़ने की संभावना है| किसानों के अनुसार, आगरा बाजार में मांग बनी रही तो इस बार मुनाफ दोगुना हो सकता है|

आगरा में गेंदे की खेती

कम पैदावार, ज्यादा दम – किसानों को मिलेगी राहत

इस साल समय पर बारिश न होने और मौसम की अनियमितता से कई इलाकों में गेंदे की खेती प्रभावित हुई है| किसानों का कहना है कि खेतों में फूल कम खिले है, जिससे आपूर्ति घटेगी| मगर दूसरी ओर, दीपावली के अवसर पर मंदिर सजावट, पूजा सामग्री और मालाओं में गेंदे की भारी मांग है| इस वजह से कीमतें पिछले साल की तुलना में 30% बाद सकती है|

आगरा के शमसाबाद, किरावली, फतेहाबाद, बिचपुरी और आसपास के इलाकों में सैकड़ों किसान हर साल दीपावली से पहले गेंदे की खेती करते हैं| इस बार उत्पादन भले ही घटा हो, लेकिन बाजार में फूलों के दाम तेजी से ऊपर जा रहे हैं|

किसानों की राय: मेहनत का फल जरूर मिलेगा

गांव के किसान गिर्राज सिंह बताते है

“पिछले साल फूलों के दम 30 से 40 रूपये किलो तक थे, लेकिन इस बार पैदावार कम है| ऐसे में भाव 50 रूपये किलो तक पहुंच सकते है| इससे किसानों को राहत मिलेगी|”

वहीं किसान लालजीत सिंह का कहना है

“इस बार फूल कुछ कम हुए है, लेकिन मांग बहुत अच्छी है| उम्मीद है कि कीमतें बढ़ेगी और मेहनत का पूरा फल मिलेगा|”

एक बीघा पर लागत 4 से 5 हजार, मुनाफ दोगुना संभव

किसानों के मुताबिक, एक बीघा में गेंदे की खेती की औसत लागत 4 से 5 हजार रूपये तक आती है| आगरा बाजार में दम 50 रूपये किलो तक रहते है तो एक बीघा से 10 से 12 हजार रूपये तक की आमदनी संभव है| यानी किसान अपनी लागत से दो गुना मुनाफा कमा सकते है| इसीलिए इस बार छोटे किसानों में भी उम्मीद की किरण दिखाई दे रही है| वे कहते है कि “कम पैदावार के बावजूद, दम अच्छे मिलने पर मेहनत वसूल हो जाएगी|”

दिवाली से पहले मंडी में गेंदा की चहल-पहल

दिवाली के करीब आते ही आगरा की फूल मंडियों में चहल-पहल बढ़ गई है| सदर बाजार, संजय प्लेस, और खंदारी क्षेत्र की फूल मंडियों में रोजाना टनों गेंदे की खरीद-बिक्री हो रही है| व्यापारियों के अनुसार, पिछले एक सप्ताह में ही दामों में 20% तक की बढ़ोतरी हुई है|

फूल व्यापारी अजय शर्मा का कहना है

“दीपाली के समय गेंदा सबसे ज्यादा बिकता है| मंदिर सजावट, पूजा घर की डेकोरेशन हर जगह गेंदा चाहिए होता है| इस बार मांग ज्यादा है और आपूर्ति सीमित, इसलिए भाव ऊपर रहेंगे|”

मौसम की मार लेकिन उम्मीद कायम

इस बार बरसात का पैटर्न अनियमित रहा, जिससे फसल पर असर पड़ा| कई किसानों ने बताया कि शुरूआती बारिश ठीक नहीं हुई, और बाद में जब पानी गिरा तो फसल की जड़े सड़ गई|इसके बावजूद किसानों ने ऑर्गेनिक खाद और लोकल किस्मों से उत्पादन को बचाने की कोशिश की|

किसान सुरेशपाल कहते है

“हमने इस बार देसी बीज लगाए थे| फूल थोड़े छोटे है, लेकिन खुशबू और रंग अच्छा है| यही कारण है कि व्यापारी अच्छी कीमत देने को तैयार है|”

मंडी में बढ़ती कीमतें कारोबारियों में उत्साह

दिवाली से पहले गेंदा फूल की कीमतों में उछाल ने कारोबारियों का भी मनोबल बढ़ाया है| जहां पिछले साल मंडियों में फूल 30 रूपये किलो बिक रहे थे, वहीं अब भाव 45 से 50 रूपये किलो तक पहुंच चुके है| Agra News Daily की रिपोर्ट के अनुसार, अगले हफ्ते तक कीमतों में और 10 रूपये किलो की वृद्धि संभव है|

व्यापारी राकेश अग्रवाल बताते है

“हम दिल्ली और लखनऊ तक सप्लाई भेजते है| आगरा का गेंदा रंग और टिकाऊपन के लिए जाना जाता है| दिवाली के समय इसकी मांग दोगुनी हो जाती है|”

गेंदा खेती बन रही है किसानों के लिए नया विकल्प

आगरा में गेंदा खेती अब केवल त्योहारों तक सीमित नहीं रही| पिछले कुछ वर्षों में किसानों ने सब्जियों और गेहूं के साथ-साथ फूलों की खेती को भी अपनाया है| इससे न सिर्फ अतिरिक्त आय होती है, बल्कि कम पानी और कम लगत में यह फसल आसानी से तैयार हो जाती है| कृषि विशेषज्ञों का मानना है की अगर किसानों को मंडी में स्थायी दम और सरकारी समर्थन मिले, तो आने वाले सालों में फूल खेती से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई दिशा मिल सकती है|

दिवाली पर गेंदा का महत्व

गेंदा फूल का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व भारतीय परंपरा में बहुत गहरा है| दिवाली, दशहरा, छठ पूजा, और शादी-ब्याह में इसकी मांग सबसे अधिक रहती है| माना जाता है कि गेंदा मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु का प्रिय फूल है| इसलिए घरों, मंदिरों और दुकानों में सजावट के लिए इसकी मालाएं खूब बिकती है|

Agra News Daily निष्कर्ष

दिवाली 2025 में आगरा के किसानों के लिए गेंदे की खेती उम्मीद की नई किरण लेकर आई है| हालांकि पैदावार घट गई है, लेकिन बाजार की मांग और बढ़े हुए दामों ने किसानों की मेहनत को सही मायने में फलदाई बना दिया है|अगर मौसम साथ दे और कीमतें स्थिर रहें, तो इस बार किसानों की जेब में खुशहाली लौटना तय है|

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